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عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ المؤْمنينَ رَضيَ اللهُ عنها:
أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ كَانَ إِذَا خَرَجَ مِنَ الغَائِطِ قَالَ: «غُفْرَانَكَ».

[صحيح] - [رواه أبو داود والترمذي وابن ماجه وأحمد] - [سنن أبي داود: 30]
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है कि :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब शौच के स्थान से निकलते, तो कहते : "غُفْرَانَكَ" अर्थात, ऐ अल्लाह! मैं तुझसे क्षमा का प्रार्थी हूँ।

[सह़ीह़] - - [سنن أبي داود - 30]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब शौच करके निकलते, तो कहते कि ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरी क्षमा माँगता हूँ।

हदीस का संदेश

  1. शौच के स्थान से निकलने के बाद "غُفرانَك" कहना मुसतहब है।
  2. अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सभी परिस्थितियों में अल्लाह से क्षमा माँगा करते थे।
  3. शौच करने के बाद क्षमा माँगने का कारण क्या है, इसके बारे में कहा गया है कि क्षमा इसलिए माँगी जाती है कि बंदे से अल्लाह की बेशुमार नेमतों का शुक्र अदा करने में कोताही होती है, जिनमें से एक नेमत इन्सान के पेट से कष्टकर चीज़ों का आसानी से निकल जाना भी है। बंदा इसलिए भी अल्लाह से क्षमा माँगता है कि शौच के समय अल्लाह के ज़िक्र से दूर रहता है।
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