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عن أبي هريرة رضي الله عنه مرفوعًا: «اسْتَنْزِهوا من البول؛ فإنَّ عامَّة عذاب القبر منه».
[صحيح] - [رواه الدارقطني]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: पेशाब (के छींटों) से बचो, क्योंकि आम तौर से क़ब्र का अज़ाब उसी के कारण होता है।
[सह़ीह़] - [इसे दारक़ुतनी ने रिवायत किया है ।]

व्याख्या

इस हदीस में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने हमें क़ब्र की यातना के असबाब में से एक सबब बताया है, जो उसका सबसे आम सबब भी है। यह सबब है, पेशाब से न बचना और उससे पवित्रता प्राप्त न करना।

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हदीस का संदेश

  1. पेशाब से इस तरह बचना और दूर रहना कि वह शरीर और कपड़े में न लगे।
  2. बेहतर यह है कि उसे फौरन धो दिया जाए और लगने के बाद ही साफ़ कर दिया जाए, ताकि आदमी गंदगी के साथ न रहे। लेकिन उसे हटाना वाजिब नमाज़ के समय होता है।
  3. पेशाब नापाक चीज़ है और शरीर, कपड़ा अथवा स्थान में पड़ने पर उसे नापाक कर देता है एवं उसके साथ नमाज़ सही नहीं होती। क्योंकि नापाक चीज़ों से पवित्र होना नमाज़ की शर्तों में से एक शर्त है।
  4. पेशाब से पवित्र न रहना बड़ा गुनाह है।
  5. क़ब्र की यातना का सबूत, जो कि क़ुरआन, सुन्नत एवं उम्मत के मतैक्य से साबित है।
  6. आख़िरत के प्रतिफल का सबूत, क्योंकि आख़िरत के मर्हलों में से पहला मर्हला क़ब्र है। क़ब्र या तो जन्नत के बाग़ों में से एक बाग़ है या जहन्नम के गड्ढों में से एक गड्ढा।
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