عن معاوية بن أبي سفيان رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «من يُرِدِ الله به خيرا يُفَقِّهْهُ في الدين».
[صحيح] - [متفق عليه]
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मुआविया बिन अबू सुफ़यान -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई का इरादा करता है, उसे दीन की समझ प्रदान करता है।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

जिसे अल्लाह लाभ तथा भलाई पहुँचाना चाहता है, उसे शरई अहकाम का जानकार और उनकी समझ रखने वाला बना देता है। 'फ़िक़्ह' शब्द के दो अर्थ हैं : पहला अर्थ : शरई तथा अमली अहकाम, जैसे इबादत तथा मामलात से संबंधित अहकाम को, उनके विस्तृत प्रमाणों से जानना। दूसरा अर्थ : अल्लाह के धर्म को जानना। इस विस्तृथ अर्थ में ईमान के मूल तत्वों और इसलाम के विधि-विधानों के साथ-साथ हलाल तथा हराम एवं नैतिकता एवं शिष्टाचारों का ज्ञान भी शामिल है।

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हदीस का संदेश

  1. इस हदीस में अल्लाह के धर्म यानी इसलाम की समझ हासिल करने और उसकी प्रेरणा देने के महत्व का प्रमाण है।
  2. इस हदीस में आए हुए शब्द फ़िक़्ह (इसलाम की समझ हासिल करना) के दो अर्थ हैं : पहला अर्थ : शरई तथा विस्तृत अहकाम को उनके विस्तृत प्रमाणों से प्राप्त करना। दूसरा अर्थ : सामान्यतः अल्लाह के दीन की जानकारी प्राप्त करना। ईमान के मूल तत्वों, इसलाम के विधि-विधानों तथा एहसान के रहस्यों और हलाल एवं हराम की जानकारी प्राप्त करना।
  3. इस हदीस से यह बात भी मालूम होती है जिसने अल्लाह के धर्म की समझ हासिल करने से मुंह मोड़ा, अल्लाह ने उसके साथ किसी भलाई का इरादा नहीं किया।
  4. जिसने ज्ञान अर्जन करने पर तवज्जो दी, तो जान लीजिए कि अल्लाह उससे प्रेम करता है, क्योंकि उसने उसे धर्म का ज्ञान अर्जन करने और उसकी समझ हासिल करने की तौफ़ीक़ देकर उसके साथ भलाई का इरादा किया है।
  5. अल्लाह के धर्म की समझ हासिल करना एक प्रशंसनीय कार्य है। लेकिन इसलाम के अतिरिक्त किसी और चीज़ की समझ हासिल करना, न तो प्रशंसनीय है और निंदनीय। हाँ, यदि वह किसी प्रशंसनीय कार्य का सबब है, तो प्रशंसनीय है और यदि किसी निंदनीय कार्य का सबब है, तो निंदनीय है।
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