عن معاوية بن حيدة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «ويل للذي يحدث فيكذب؛ ليضحك به القوم، ويل له، ثم ويل له».
[حسن] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد والنسائي في الكبرى]
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मुआविया बिन हियदा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “बरबादी है उस व्यक्ति के लिए, जो लोगों से बात करता है और उन्हें हँसाने के लिए झूठ बोलता है। बरबादी है उसके लिए। फिर बरबादी है उसके लिए।”
[ह़सन] - [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे नसाई ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]
इस हदीस में झूठ से बहुत ज़्यादा सावधान किया गया है और उन लोगों को विनाश की चेतावनी दी गई है, जो लोगों को हँसाने के लिए झूठ बोलते हैं। यह एक बहुत बुरी बात, सख़्त हराम काम और बुरा आचरण है, जिससे मुसलमान को बचना एवं दूर रहना चाहिए और उसकी ज़बान को झूठ से पवित्र होनी चाहिए, चाहे परिस्थिति जो भी हो। हाँ, जहाँ शरीयत ने अनुमति दी है, वहाँ बात अलग है। फिर, जिस तरह लोगों को हँसाने के लिए झूठ बोलना हराम है, उसी तरह श्रोताओं के लिए सुनना भी हराम है, यदि वे उसके झूठ होने से अवगत हों। बल्कि, ऐसी परिस्थिति में उसका खंडन भी ज़रूरी है।