عَن أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«يُسَلِّمُ الرَّاكِبُ عَلَى المَاشِي، وَالمَاشِي عَلَى القَاعِدِ، وَالقَلِيلُ عَلَى الكَثِيرِ».
وَلِلبُخَارِي: «يُسَلِّمُ الصَّغِيرُ عَلَى الكَبِيرِ، وَالمَارُّ عَلَى القَاعِدِ، وَالقَلِيلُ عَلَى الكَثِيرِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 6232]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"सवार पैदल चलने वाले को सलाम करेगा, पैदल चलने वाला बैठे हुए को सलाम करेगा और छोटा समूह बड़े समूह को सलाम करेगा।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 6232]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सलाम करने के कुछ आदाब सिखाए हैं। सलाम के शब्द इस प्रकार हैं : "अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू" आपने बताया है कि छोटा बड़े को सलाम करे, सवार पैदल को सलाम करे, पैदल बैठे हुए को सलाम करे और कम संख्या अधिक संख्या को सलाम करे।