عَنْ أَبِي حُمَيْدٍ أَوْ عَنْ أَبِي أُسَيْدٍ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«إِذَا دَخَلَ أَحَدُكُمُ الْمَسْجِدَ فَلْيَقُلِ: اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ، وَإِذَا خَرَجَ فَلْيَقُلِ: اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 713]
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अबू हुमैद या अबू उसैद से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जब तुममें से कोई मस्जिद में प्रवेश करे, तो यह दुआ पढ़े : "اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ" (ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रहमत के द्वार खोल दे) और जब मस्जिद से निकले, तो यह दुआ पढ़े : "اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ" (ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरा अनुग्रह माँगता हूँ।)
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 713]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी उम्मत को मस्जिद में प्रवेश करने की यह दुआ सिखाई है : "اللَّهُمَّ افْتَحْ لِي أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ" (ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रहमत के द्वार खोल दे), जिसमें अल्लाह से उसकी रहमत के साधन उपलब्ध कराने की दुआ की गई है और मस्जिद से निकलने की यह दुआ सिखाई है : "اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ" (ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरा अनुग्रह माँगता हूँ।), जिसमें अल्लाह का अनुग्रह और उसका एहसान, जैसे हलाल रोज़ी आदि माँगी गई है।