عَنْ جَرِيرٍ رضي الله عنه عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«مَنْ يُحْرَمِ الرِّفْقَ يُحْرَمِ الْخَيْرَ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2592]
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जरीर रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जिसे नर्मी से वंचित कर दिया गया, उसे सारी भलाई से वंचित कर दिया गया।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2592]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जिसे नर्मी से वंचित कर दिया गया, दीन एवं दुनिया से संबंधित मामलात और दूसरों के साथ मामलात में नर्मी उसके व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं रही, उसे पूरे तौर पर भलाई से वंचित कर दिया गया।