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عن ابن عباس رضي الله عنهما قال:
كُنْتُ خَلْفَ رَسُولِ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَوْمًا، فَقَالَ: «يَا غُلَامُ، إِنِّي أُعَلِّمُكَ كَلِمَاتٍ، احْفَظِ اللهَ يَحْفَظْكَ، احْفَظِ اللهَ تَجِدْهُ تُجَاهَكَ، إِذَا سَأَلْتَ فَاسْأَلِ اللهَ، وَإِذَا اسْتَعَنْتَ فَاسْتَعِنْ بِاللهِ، وَاعْلَمْ أَنَّ الْأُمَّةَ لَوِ اجْتَمَعَتْ عَلَى أَنْ يَنْفَعُوكَ بِشَيْءٍ، لَمْ يَنْفَعُوكَ إِلَّا بِشَيْءٍ قَدْ كَتَبَهُ اللهُ لَكَ، وَلَوِ اجْتَمَعُوا عَلَى أَنْ يَضُرُّوكَ بِشَيْءٍ، لَمْ يَضُرُّوكَ إِلَّا بِشَيْءٍ قَدْ كَتَبَهُ اللهُ عَلَيْكَ، رُفِعَتِ الْأَقْلَامُ وَجَفَّتِ الصُّحُفُ».

[صحيح] - [رواه الترمذي] - [سنن الترمذي: 2516]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, उन्होंने कहा :
मैं एक दिन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पीछे सवार था कि इसी बीच आपने कहा : "ऐ बच्चे! मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाना चाहता हूँ। अल्लाह (के आदेशों और निषेधों) की रक्षा करो, अल्लाह तुम्हारी रक्षा करेगा। अल्लाह (के आदेशों और निषेधों) की रक्षा करो, तुम उसे अपने सामने पाओगे। जब माँगो, तो अल्लाह से माँगो और जब मदद तलब करो, तो अल्लाह से तलब करो। तथा जान लो, यदि पूरी उम्मत तुम्हें कुछ लाभ पहुँचाने के लिए एकत्र हो जाए, तो तुम्हें उससे अधिक लाभ नहीं पहुँचा सकती, जितना अल्लाह ने तुम्हारे लिए लिख दिया है। तथा यदि सब लोग तुम्हारी कुछ हानि करने के लिए एकत्र हो जाएँ, तो उससे अधिक हानि नहीं कर सकते, जितनी अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में लिखा है। क़लम उठा ली गई है और पुस्तकें सूख चुकी हैं।"

[सह़ीह़] - [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।] - [سنن الترمذي - 2516]

व्याख्या

अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा बता रहे हैं कि वह छोटे थे और एक दिन अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पीछे सवारी पर बैठे हुए थे कि आपने कहा : मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाऊँगा, जिनसे अल्लाह तुम्हें फ़ायदा पहुँचाएगा :
अल्लाह के आदेशों की रक्षा करके और उसकी मना की हुई चीज़ों से दूर रहकर इस तरह अल्लाह की रक्षा करो कि वह तुमको नेकी और अल्लाह से निकट करने वाले कामों में पाए, अवज्ञाकारियों और गुनाहों में न पाए। अगर तुम ऐसा करोगे, तो बदले में अल्लाह दुनिया एवं आख़िरत की अप्रिय चीज़ों से तुम्हारी रक्षा करेगा और तुम जहाँ भी जाओगे, हर काम में तुम्हारी मदद करेगा।
जब कुछ माँगना हो, तो केवल अल्लाह से माँगो। क्योंकि वही माँगने वालों की मुरादें पूरी करता है।
जब मदद तलब करनी हो, तो केवल अल्लाह से तलब करो।
तुम्हारे दिल में इस बात का विश्वास होना चाहिए कि अगर धरती के ऊपर मौजूद सारे लोग तुम्हारा भला करना चाहें, तो उतना ही कर सकते हैं, जितना अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में लिख रखा है और धरती पर बसने वाले सारे लोग तुम्हारा बुरा करना चाहें, तो उससे ज़्यादा नहीं कर सकते, जितना अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में लिख रखा है।
इन सारी बातों को अल्लाह ने अपनी हिकमत तथा ज्ञान के तक़ाज़े के अनुसार लिख रखा है और अल्लाह के लिखे में कोई बदलाव संभव नहीं है।

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हदीस का संदेश

  1. छोटे बच्चों को तौहीद तथा आदाब एवं इस प्रकार की दीन की अन्य बातें सिखाने का महत्व।
  2. अल्लाह बंदे को प्रतिफल उसी कोटि का देता है, जिस कोटि का उसका अमल रहता है।
  3. केवल अल्लाह पर भरोसा करने का आदेश, क्योंकि वही काम बनाने वाला है।
  4. अल्लाह के निर्णय तथा तक़दीर पर ईमान और उससे राज़ी रहना तथा इस बात का उल्लेख कि अल्लाह ने सारी चीज़ों का निर्णय पहले से ले रखा है।
  5. जो अल्लाह के आदेशों को नष्ट करेगा, अल्लाह उसे नष्ट कर देगा और उसकी रक्षा नहीं करेगा।
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