عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«أَمَا يَخْشَى أَحَدُكُمْ - أَوْ: لاَ يَخْشَى أَحَدُكُمْ - إِذَا رَفَعَ رَأْسَهُ قَبْلَ الإِمَامِ، أَنْ يَجْعَلَ اللَّهُ رَأْسَهُ رَأْسَ حِمَارٍ، أَوْ يَجْعَلَ اللَّهُ صُورَتَهُ صُورَةَ حِمَارٍ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 691]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"क्या तुममें से कोई व्यक्ति, जो इमाम से पहले अपना सर उठाता है, इस बात से नहीं डरता कि अल्लाह उसके सर को गधे का सर बना दे अथवा उसकी आकृति को गधे की आकृति में बदल दे?"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 691]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इमाम से पहले अपना सर उठाने वाले व्यक्ति को यह सख़्त चेतावनी दी है कि अल्लाह उसके सर को गधे का सर बना दे या उसकी आकृति को गधे की आकृति बना दे।