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عن أبي هريرة رضي الله عنه مرفوعًا: «إذا صلى أحدكم للناس فَلْيُخَفِّفْ فإن فيهم الضعيف والسَّقِيمَ وذَا الحاجة، وإذا صلى أحدكم لنفسه فَلْيُطَوِّلْ ما شاء».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- रिवायत है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जब तुममें से कोई लोगों को नमाज़ पढ़ाए, तो हल्की पढ़ाए। क्योंकि उनके अंदर दुर्बल, रोगी तथा ज़रूरतमंद भी होते हैं। हाँ, जब अकेला नमाज़ पढ़े, तो जितनी चाहे, लंबी करे।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इमामों को आदेश दिया है कि सुन्नत पर अलम करते हुए नमाज़ हल्की पढ़ाया करें। आपने इसका कारण यह बयान किया कि उनके पीछे शारीरिक रूप से दुर्बल, निर्बल, बीमार और हाजतमंद लोग भी हुआ करते हैं। हाँ, यदि अकेले नमाज़ पढ़ें, तो चाहें तो लंबी नमाज़ पढ़ें या चाहें तो हल्की पढ़ें।

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