عَنْ أَنَسٍ رضي الله عنه قَالَ:
جَاءَ رَجُلٌ إِلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ: يَا رَسُولَ اللهِ، مَا تَرَكْتُ حَاجَّةً وَلَا دَاجَّةً إِلَّا قَدْ أَتَيْتُ، قَالَ: «أَلَيْسَ تَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَنَّ مُحَمَّدًا رَسُولُ اللهِ؟» ثَلَاثَ مَرَّاتٍ. قَالَ: نَعَمْ، قَالَ: «فَإِنَّ ذَلِكَ يَأْتِي عَلَى ذَلِكَ».
[صحيح] - [رواه أبو يعلى والطبراني والضياء المقدسي]
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अनस रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं :
एक व्यक्ति अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहने लगा : ऐ अल्लाह के रसूल! मैंने हर छोटा-बड़ा गुनाह कर डाला है। आपने पूछा : "क्या तुम इस बात की गवाही नहीं देते कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं?" आपने इस प्रश्न को तीन बार दोहराया। उसने जवाब दिया : अवश्य देता हूँ। आपने कहा : "यह उसे मिटा देगा।"
सह़ीह़ - इसे अबू यअ्ला ने रिवायत किया है।
एक व्यक्ति अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहने लगा कि ऐ अल्लाह के रसूल! मैंने हर तरह के गुनाह किए हैं और कोई छोटा-बड़ा गुनाह नहीं छोड़ा है। ऐसे में क्या मुझे क्षमा प्राप्त हो सकती है? यह सुन आपने उससे पूछा कि क्या तुम इस बात की गवाही नहीं देते कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं?: आपने अपने इस प्रश्न को तीन बार दोहराया। चुनांचे उसने उत्तर दिया कि अवश्य ही मैं इसकी गवाही देता हूँ। उत्तर सुनने के बाद अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको दोनों गवाहियों की फ़ज़ीलत बताई और यह स्पष्ट कर दिया कि इससे गुनाह मिटा दिए जाते हैं और तौबा पहले किए हुए सारे गुनाहों को ख़त्म कर देती है।