عن عبد الله بن مسعود رضي الله عنه مرفوعاً: "إن من شرار الناس من تُدركهم الساعة وهم أحياء، والذين يتخذون القبور مساجد".
[حسن] - [رواه أحمد]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अन्हु) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमायाः "वह लोग सबसे बुरे लोगों में से हैं, जो क़यामत आते समय जीवित होंगे तथा जो क़ब्रों को मस्जिद बना लेते हैं।"
ह़सन - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बता रहे हैं कि वह लोग सबसे बुरे लोग हैं, जिनके ज़िंदा रहते क़यामत आएगी। उन्हीं में से वह लोग भी हैं, जो क़ब्रों के निकट तथा उनकी ओर मुँह करके नमाज़ पढ़ते हैं और उनपर गुंबद बनाते हैं। यहाँ दरअसल आपने अपनी उम्मत को सावधान किया है कि वह अपने नबियों और सदाचारी लोगों की क़ब्रों के साथ वह सब न करे, जो इन बुरे लोगों ने किया है।

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हदीस का संदेश

  1. इससे क़यामत का आना साबित होता है।
  2. यह भी कि क़यामत सबसे बुरे लोगों पर आएगी।
  3. यह भी कि क़ब्रों पर इमारत या गुंबद बनाना या उनके पास बिना इमारत या गुंबद बनाए नमाज़ पढ़ना हराम है, क्योंकि मस्जिद हर उस जगह का नाम है जहाँ सजदा किया जाता है, चाहे उस जगह पर इमारत बनी हो या न हो।
  4. इसमें क़ब्रों के पास नमाज़ पढ़ने से सावधान किया गया है, क्योंकि यह शिर्क तक ले जाने वाला कार्य है।
  5. यह भी बताया गया है कि जो लोग नेक लोगों की क़ब्रों पर मस्जिदें बनाते हैं, वे दुनिया के सबसे बुरे लोग हैं, चाहे उनके इस कृत्य का उद्देश्य अल्लाह की निकटता प्राप्त करना ही क्यों न हो।
  6. शिर्क और उसके साधनों और जो चीज़ भी उससे करीब ले जाए, उस सब से सावधान किया गया है, चाहे उन साधनों को अख़्तियार करने का इरादा जो भी हो।
  7. यह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का एक करिश्मा है। आपने क़ब्रों पर मस्जिद बनाए जाने के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वह पूरी हो गई है।
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