عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي لله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«لَا يَفْرَكْ مُؤْمِنٌ مُؤْمِنَةً، إِنْ كَرِهَ مِنْهَا خُلُقًا رَضِيَ مِنْهَا آخَرَ» أَوْ قَالَ: «غَيْرَهُ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1469]
المزيــد ...
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"कोई मोमिन पुरुष किसी मोमिन स्त्री से नफ़रत न करे। यदि वह उसके किसी काम को नापसंद करता है, तो उसके किसी दूसरे (अथवा अन्य) काम को पसंद करेगा।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1469]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पति को अपनी पत्नी से इस तरह नफ़रत करने से मना किया है कि उसपर अत्याचार करने, उसे छोड़ रखने तथा उसे भुला देने की नौबत आ जाए। क्योंकि हर इन्सान के अंदर प्राकृतिक रूप से कमियाँ मौजूद हैं। अगर उसकी कोई बात नापसंद होगी, तो कोई बात पसंद ज़रूर होगी। अतः जो बात पसंद हो, उसपर प्रसन्न रहे और जो बात पसंद न हो, उसपर सब्र करे। इससे खुशगवार वातावरण बनेगा और नापसंदीदगी इस हद तक नहीं पहुँचेगी कि अलगाव की स्थिति आ जाए।