عن عائشة قالت : كان النبي صلى الله عليه وسلم إذا خرج من الغائط قال: "غُفْرَانَكَ".
وعن ابن مسعود قال: «أتى النبي صلى الله عليه وسلم الغائط فأمرني أن آتيه بثلاثة أحجار، فوجدت حجرين، والتمست الثالث فلم أجده، فأخذت رَوْثَةً فأتيته بها، فأخذ الحجرين وألقى الروثة». وقال: «هذا رِكْسٌ».
[حديث عائشة صحيح.
وحديث ابن مسعود صحيح] - [حديث عائشة: رواه أبو داود والترمذي وابن ماجه والدارمي وأحمد.
وحديث ابن مسعود: رواه البخاري]
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आइशा (रज़ियल्लाहु अनहा) से वर्णित है, वह कहती हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब शौच के स्थान से निकलते तो कहते: "غُفْرَانَكَ" अर्थात, ऐ अल्लाह! मैं तुझसे क्षमा का प्रार्थी हूँ।
अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) शौच के लिए गए तो मुझे तीन पत्थर लाने का आदेश दिया। मुझे दो ही पत्थर तो मिले, लेकिन ढूँढने के बावजूद तीसरा पत्थर न मिल सका। अतः मैं गोबर का एक टुकड़ा लेकर पहुँचा, तो दोनों पत्थर ले लिए और गोबर को फेंक दिया तथा फ़रमाया: यह गंदी वस्तु है।
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है। - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है। - इसे दारिमी ने रिवायत किया है।]