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عَنْ ‌قَتَادَةَ رحمه الله قال:
حَدَّثَنَا ‌أَنَسُ بْنُ مَالِكٍ رَضِيَ اللهُ عَنْهُ أَنَّ رَجُلًا قَالَ: يَا نَبِيَّ اللهِ كَيْفَ يُحْشَرُ الْكَافِرُ عَلَى وَجْهِهِ؟ قَالَ: «أَلَيْسَ الَّذِي أَمْشَاهُ عَلَى الرِّجْلَيْنِ فِي الدُّنْيَا قَادِرًا عَلَى أَنْ يُمْشِيَهُ عَلَى وَجْهِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ؟» قَالَ قَتَادَةُ: بَلَى وَعِزَّةِ رَبِّنَا.

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 6523]
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क़तादा से वर्णित है, उन्होंने कहा :
अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु ने हमें बताया कि एक व्यक्ति ने कहा : ऐ अल्लाह के नबी! काफ़िर को चेहरे के बल कैसे एकत्र किया जाएगा? आपने उत्तर दिया : "जिसने उसे दुनिया में पैरों पर चलाया, क्या वह क़यामत के दिन उसे चेहरे के बल चला नहीं सकता?" क़तादा कहते हैं : अवश्य चला सकता है, हमारे रब की प्रतिष्ठा की क़सम।

सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि काफ़िर को क़यामत के दिन चेहरे के बल कैसे चलाया जाएगा? अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उत्तर दिया : जिसने उसे दुनिया में पैरों पर चलाया, क्या वह उसे क़यामत के दिन चेहरे के बल चला नहीं सकता? अल्लाह तो हर चीज़ की क्षमता रखता है।

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हदीस का संदेश

  1. क़यामत के दिन काफ़िर के अपमान का एक रूप यह होगा कि वह अपने चेहरे के बल चलेगा।
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