عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللهُ عَنْهُمَا قَالَ:
كَانَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَليهِ وَسَلَّمَ لا يَعْرِفُ فَصْلَ السُّورةِ حَتَّى تَنْزِلَ عَليْهِ {بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ}.
[صحيح] - [رواه أبو داود] - [سنن أبي داود: 788]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है, उन्होंने कहा :
"अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक सूरा ख़त्म होकर दूसरा सूरा शुरू होने की बात जान नहीं पाते, जब तक आपपर "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम" न उतरती।"
[सह़ीह़] - [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।] - [سنن أبي داود - 788]
अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा बता रहे हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर क़ुरआन की सूरतें उतरतीं, तो आप एक सूरा के ख़त्म होने तथा दूसरी सूरा के शुरू होने की बात उस समय तक जान नहीं पाते, जब तक आपपर "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम" न उतरती। जब बिस्मिल्लाह उतरती, तो पता होता कि पहली सूरा ख़त्म हो गई है और एक नई सूरा शुरू हो गई है।