عَن عَلِيٍّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ رَضيَ اللهُ عنه قَالَ:
أَخَذَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ حَرِيرًا بِشِمَالِهِ، وَذَهَبًا بِيَمِينِهِ، ثُمَّ رَفَعَ بِهِمَا يَدَيْهِ، فَقَالَ: «إِنَّ هَذَيْنِ حَرَامٌ عَلَى ذُكُورِ أُمَّتِي، حِلٌّ لِإِنَاثِهِمْ».
[صحيح] - [رواه أبو داود والنسائي وابن ماجه] - [سنن ابن ماجه: 3595]
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अली बिन अबू तालिब रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं :
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने दाएँ हाथ में रेशम और बाएँ हाथ में सोना लिया, उन्हें लेकर दोनों हाथों को उठाया और फिर फ़रमाया : "यह दोनों वस्तुएँ मेरी उम्मत के पुरुषों पर हराम और स्त्रियों के लिए हलाल हैं।"
[सह़ीह़] - - [سنن ابن ماجه - 3595]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने दाएँ हाथ में रेशम या रेशमी कपड़े का एक टुकड़ा और दाएँ हाथ में सोना जैसे ज़ेवर आदि लिया और उसके बाद फ़रमाया : निस्संदेह रेशम और सोना पहनना पुरुषों पर हराम है। अलबत्ता औरतों के लिए हलाल है।