عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«خَيْرُ صُفُوفِ الرِّجَالِ أَوَّلُهَا، وَشَرُّهَا آخِرُهَا، وَخَيْرُ صُفُوفِ النِّسَاءِ آخِرُهَا، وَشَرُّهَا أَوَّلُهَا».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 440]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
''पुरुषों के लिए सर्वोत्तम सफ़ सबसे प्रथम सफ है और सबसे बुरी सफ़ सबसे अंतिम सफ़ है। जबकि महिलाओं के लिए सबसे अच्छी सफ़ अंतिम सफ़ है तथा सबसे बुरी सफ़ सबसे प्रथम सफ़ है।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 440]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया कि नमाज़ में पुरुषों की सबसे उत्तम, अधिक सवाब और फ़ज़ीलत वाली सफ़ पहली सफ़ है। क्योंकि पहली सफ़ में खड़े लोग इमाम के निकट होते हैं, आसानी से उसकी क़िरात सुन सकते हैं और महिलाओं से दूर होते हैं। जबकि पुरुषों की सबसे बुरी, कम सवाब तथा कम फ़ज़ीलत वाली और शर्ई उद्देश्यों से सबसे दूरी वाली सफ़ अंतिम सफ़ है। इसके विपरीत महिलाओं की सबसे उत्तम सफ़ अंतिम सफ़ है। क्योंकि यहाँ उनका पर्दा अधिक होता है तथा पुरुषों के साथ मेलजोल, उनको देखने तथा उनके फ़ितने में पड़ने की संभावना सबस कम रहती है। जबकि उनकी सबसे बुरी सफ़ पहली सफ़ है, जो पुरुशों से क़रीब होती है और उसमें फ़ितने की संभावना भी रहती है।