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عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ المُؤْمِنينَ رَضي الله عنها أَنَّهَا قَالَتْ:
إِنَّ أُمَّ حَبِيبَةَ بِنْتَ جَحْشٍ الَّتِي كَانَتْ تَحْتَ عَبْدِ الرَّحْمَنِ بْنِ عَوْفٍ شَكَتْ إِلَى رَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وسلم الدَّمَ، فَقَالَ لَهَا: «امْكُثِي قَدْرَ مَا كَانَتْ تَحْبِسُكِ حَيْضَتُكِ، ثُمَّ اغْتَسِلِي». فَكَانَتْ تَغْتَسِلُ عِنْدَ كُلِّ صَلَاةٍ.

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 334]
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं :
"अब्दुर्रहमान बिन औफ़ की पत्नि उम्म-ए-हबीबा बिन्त जह्श रज़ियल्लाहु अनहा ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से (मासिक धर्म के बाद भी) रक्त जारी रहने की शिकायत की, तो आपने फ़रमाया : "तुम उतने दिन नमाज़ से रुकी रहो, जितने दिन तुम्हारा मासिक धर्म तुम्हें नमाज़ से रोकता था, फिर स्नान कर लिया करो।" इसलिए वह हर नमाज़ के समय स्नान करती थीं।

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 334]

व्याख्या

एक सहाबिया ने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आकर रक्त जारी रहने की शिकायत की। तब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको आदेश दिया कि यह परेशानी शुरू होने से पहले जितने दिन उनकी माहवारी उनको नमाज़ से रोके रखती थी, उतने दिन वह नमाज़ से रुकी रहें और उसके बाद स्नान कर लें और फिर नमाज़ पढ़ती रहें। चुनांचे वह नफ़ली तौर पर हर नमाज़ के लिए स्नान कर लिया करती थीं।

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हदीस का संदेश

  1. इस्तहाज़ा : यह है कि औरत को माहवारी के नियमित दिनों के बाद भी रक्त आता रहे।
  2. इस्तहाज़ा से ग्रसित औरत खुद को उतने दिनों तक माहवारी में समझे, जितने दिनों तक यह परेशानी शुरू होने से पहले उसे माहवारी का ख़ून आया करता था।
  3. फिर जब माहवारी के नियमित दिनों के बराबर दिन गुज़र जाएँ, तो खुद को माहवारी से पाक समझते हुए माहवारी से पाकी का स्नान कर ले, चाहे इस्तहाज़ा का रक्त जारी ही क्यों न रहे।
  4. इस्तहाज़ा से ग्रसित औरत पर हर नमाज़ के लिए स्नान करना वाजिब नहीं है। क्योंकि उक्त सहाबिया हर नमाज़ के लिए स्नान अपने इजतिहाद से किया करती थीं। अगर यह अमल वाजिब होता, तो अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनको बता देते।
  5. इस्तहाज़ा से ग्रसित औरत को हर नमाज़ के लिए वज़ू करना है। क्योंकि उसके वज़ू टूटने का कार्य लगातार जारी है। ऐसा हर उस व्यक्ति को भी करना है, जिसका वज़ू टूटने का अमल लगातार जारी रहे। मसलन ऐसा व्यक्ति जिसका पेशाब लगातार निकलता रहे और ऐसा व्यक्ति जिसे निरंतर रूप से वायु निकलने की बीमारी हो।
  6. जब दीन का कोई मसला समझ में न आए, तो उलमा से पूछ लेना चाहिए। हम देखते हैं कि उस औरत ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आकर अधिक खून आने की शिकायत की और मसला पूछा।
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