عَنْ مَطَرِ بْنِ عُكَامِسٍ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«إِذَا قَضَى اللَّهُ لِعَبْدٍ أَنْ يَمُوتَ بِأَرْضٍ جَعَلَ لَهُ إِلَيْهَا حَاجَةً».

[صحيح] - [رواه الترمذي]
المزيــد ...

मतर बिन उकामिस रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जब अल्लाह किसी बंदे के बारे में निर्णय करता है कि वह किस ज़मीन में मृत्यु पाएगा, तो वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है।"

सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जब अल्लाह किसी के बारे में निर्णय कर देता है कि वह किसी जगह मृत्यु पाएगा, परंतु वह वहां उपस्थित नहीं होता, तो अल्लाह वहाँ उसकी ज़रूरत रख देता है तो वह वहाँ वह जाता है और वहाँ उसकी जान निकाली जाती है।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई बंगला चीनी फ़ारसी वियतनामी सिंहली उइग़ुर कुर्दिश होसा मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية الدرية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. यह हदीस क़ुरआन की इस आयत की पुष्टि करती है : "किसी प्राणी को नहीं पता कि उसकी मृत्यु कहाँ होनी है।"
अधिक