عن عمران بن حصين رضي الله عنه قال: كَانَتْ بِي بَوَاسِيرُ، فَسَأَلْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَنِ الصَّلَاةِ، فَقَالَ:
«صَلِّ قَائِمًا، فَإِنْ لَمْ تَسْتَطِعْ فَقَاعِدًا، فَإِنْ لَمْ تَسْتَطِعْ فَعَلَى جَنْبٍ».
[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 1117]
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इमरान बिन हुसैन रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं कि मुझे बवासीर था। अतः मैंने अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से नमाज़ के बारे में पूछा, तो आपने कहा :
"खड़े होकर नमाज़ पढ़ो, अगर इसकी क्षमता न हो तो बैठकर पढ़ो और अगर यह भी न हो सके तो पहलू के बल लेट कर नमाज़ अदा करो।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 1117]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि असल यह है कि नमाज़ खड़े होकर पढ़ी जाए। हाँ, अगर खड़े होने की क्षमता न हो, तो बैठकर पढ़ी जाएगी। और अगर बैठकर नमाज़ पढ़ने की भी ताक़त न हो, तो पहलू के बल लेटकर पढ़ी जाएगी।