عَنْ أَبِي أُمَامَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«مَنْ قَرَأَ آيَةَ الْكُرْسِيِّ فِي دُبُرِ كُلِّ صَلَاةٍ مَكْتُوبَةٍ لَمْ يَمْنَعْهُ مِنْ دُخُولِ الْجَنَّةِ إِلَّا أَنْ يَمُوتَ».
[صحيح] - [رواه النسائي في الكبرى] - [السنن الكبرى للنسائي: 9848]
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अबू उमामा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"जिसने प्रत्येक फर्ज़ नमाज़ के पश्चात आयतुल कुर्सी पढ़ी, उसको जन्नत में जाने से मौत के सिवा कोई चीज़ रोक नहीं सकती।"
[सह़ीह़] - - [السنن الكبرى للنسائي - 9848]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि जिसने फ़र्ज़ नमाज़ अदा करने के बाद आयत-अल-कुर्सी पढ़ी, उसे मौत को छोड़कर कोई चीज़ जन्नत जाने से रोक नहीं सकती। आयत-अल-कुर्सी से मुराद सूरा बक़रा की यह आयत है : "अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं। वह जीवित तथा नित्य स्थायी है। उसे ऊँघ तथा निद्रा नहीं आती। आकाश और धरती में जो कुछ है, सब उसी का है। कौन है, जो उसके पास उसकी अनुमति के बिना अनुशंसा (सिफ़ारिश) कर सके? जो कुछ उनके समक्ष और जो कुछ उनसे ओझल है, सब जानता है। उसके ज्ञान में से वही जान सकते हैं, जिसे वह चाहे। उसकी कुर्सी आकाश तथा धरती को समोये हुए है। उन दोनों की रक्षा उसे नहीं थकाती। वही सर्वोच्च, महान है।" [सूरा अल-बक़रा : 255]