عَنْ عَائِشَةَ رضي الله عنها قَالَتْ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صلى الله عليه وسلم:
«مَنْ أَحْدَثَ فِي أَمْرِنَا هَذَا مَا لَيْسَ فِيهِ فَهُوَ رَدٌّ» متفق عليه.
ولمسلم: «مَنْ عَمِلَ عَمَلًا لَيْسَ عَلَيْهِ أَمْرُنَا فَهُوَ رَدٌّ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 2697]
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आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जिसने हमारे इस दीन में कोई ऐसी नई चीज़ बनाली, जो उसका हिस्सा नहीं है, तो वह ग्रहणयोग्य नहीं है।" (सहीह बुख़ारी एवं सहीह मुस्लिम) सहीह मुस्लिम की एक रिवायत में है : "जिसने कोई ऐसा कार्य किया, जिसके संबंध में हमारा आदेश नहीं है, तो वह ग्रहणयोग्य नहीं है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 2697]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि जिसने दीन के अंदर कोई नई चीज़ बनाई या ऐसा कोई काम किया, जो क़ुरआन एवं हदीस से प्रमाणित न हो, तो उसे उसी के मुँह पर मार दिया जाएगा और वह अल्लाह के यहाँ क़बूल नहीं किया जाएगा।