عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قال: قال رَسُولُ الله صلى الله عليه وسلم:
«إِنَّ اللهَ يَغَارُ، وَإِنَّ الْمُؤْمِنَ يَغَارُ، وَغَيْرَةُ اللهِ أَنْ يَأْتِيَ الْمُؤْمِنُ مَا حَرَّمَ عَلَيْهِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 2761]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु बयान करते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"बेशक अल्लाह को ग़ैरत (स्वाभिमान) आती है और मोमिन को भी ग़ैरत आती है। अल्लाह को ग़ैरत इस बात पर आती है कि मोमिन वह कार्य करे, जिसे अल्लाह ने हराम (वर्जित) किया है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2761]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि बेशक अल्लाह को ग़ैरत आती है तथा वह नफ़रत एवं नापसंद करता है, जिस तरह कि मोमिन को ग़ैरत आती है और वह नफ़रत एवं नापसंद करता है। अल्लाह को ग़ैरत इस बात पर आती है कि मोमिन व्यभिचार, समलैंगिकता, चोरी और शराब पीना जैसे गुनाह के काम करे, जिनको अल्लाह ने हराम क़रार दिया है।