عَنْ عَمْرِو بْنُ سُلَيْمٍ الأَنْصَارِيُّ قَالَ: أَشْهَدُ عَلَى أَبِي سَعِيدٍ قَالَ: أَشْهَدُ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«الغُسْلُ يَوْمَ الجُمُعَةِ وَاجِبٌ عَلَى كُلِّ مُحْتَلِمٍ، وَأَنْ يَسْتَنَّ، وَأَنْ يَمَسَّ طِيبًا إِنْ وَجَدَ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 880]
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अम्र बिन सुलैम अंसारी कहते हैं : मैं गवाही देता हूँ कि अबू सईद ने कहा है और उन्होंने गवाही दी है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"जुमे के दिन हर व्यस्क व्यक्ति पर स्नान करना अनिवार्य है तथा यह कि वह दातुन करे और मिल सके तो ख़ुशबू भी लगाए।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 880]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि जुमे के दिन का स्नान हर वयस्क मुसलमान पुरुष पर, जिसपर जुमे की नमाज़ फ़र्ज़ है, अपने अंदर वाजिब की तरह ताकीद रखता है। उस दिन मिसवाक आदि द्वारा दाँत साफ़ कर लेना चाहिए। ख़ुशबू लाग लेनी चाहिए।