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عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رضي الله عنهما قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ أَنْ تُؤْتَى رُخَصُهُ، كَمَا يُحِبُّ أَنْ تُؤْتَى عَزَائِمُهُ».

[صحيح] - [رواه ابن حبان] - [صحيح ابن حبان: 354]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"अल्लाह को यह प्रिय है कि उसके द्वारा दी गई छूट का लाभ उठाया जाए, जिस तरह उसे यह पसंद है कि उसके अनिवार्य आदेशों का पालन किया जाए।"

[सह़ीह़] - [इसे इब्ने ह़िब्बान ने रिवायत किया है ।] - [صحيح ابن حبان - 354]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बता रहे हैं कि अल्लाह इस बात को पसंद करता है कि शरई आदेशों और इबादतों में उसकी ओर से प्रदान की गई छूट, जैसे यात्रा के समय चार रकात वाली नमाज़ों का आधा पढ़ना तथा दो नमाज़ों को एक साथ एकत्र करके पढ़ना, आदि पर अमल किया जाए। जिस तरह उसे यह पसंद है कि उसके अनिवार्य आदेशों का पालन किया जाए। क्योंकि छूट तथा अनिवार्य आदेश दोनों के बारे में अल्लाह का निर्देश समान है।

हदीस का संदेश

  1. अल्लाह बंदों पर बड़ा कृपालु है। यही कारण है कि वह इस बात को पसंद करता है कि उसके द्वारा दी गई छूट का फ़ायदा उठाया जाए।
  2. इस्लामी शरीयत एक संपूर्ण शरीयत है, जो मुसलमान को परेशानी में डालना नहीं चाहती।
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