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عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«اثْنَتَانِ فِي النَّاسِ هُمَا بِهِمْ كُفْرٌ: الطَّعْنُ فِي النَّسَبِ، وَالنِّيَاحَةُ عَلَى الْمَيِّتِ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 67]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु से वर्णित है, उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"लोगों के अंदर कुफ़्र की दो बातें पाई जाती रहेंगी : किसी के कुल पर कटाक्ष करना, तथा मरे हुए व्यक्ति पर विलाप करना।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 67]

व्याख्या

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों के अंदर पाई जाने वाली दो बातों का ज़िक्र कर रहे हैं कि वह दरअसल अविश्वासपूर्ण कार्य एवं अज्ञानता काल के चरित्र हैं। ये दोनों कार्य हैं :
1- लोगों के नसब पर ताना कसना, कमियाँ निकालना और उन्हें नीचा दिखाना।
2- मुसीबत के समय अल्लाह के निर्णय से नाराज़ होकर ज़ोर-ज़ोर से रोना और व्याकुल होकर कपड़े फाड़ना।

हदीस का संदेश

  1. विनम्र रहने और अभिमान से बचने की प्रेरणा।
  2. मुसीबत के समय सब्र से काम लेने और व्याकुलता इज़हार न करने की ज़रूरत।
  3. ऊपर बयान किए गए कार्यों का संबंध छोटे अविश्वास से है। किसी के अंदर छोटे अविश्वास वाली कोई बात पाई जाए, तो वह इस्लाम के दायरे से बाहर निकल नहीं जाता। आदमी इस्लाम के दायरे से बाहर उसी समय निकलता है, जब बड़े अविश्वास वाला कोई कार्य करे।
  4. इस्लाम ने नसब पर ताना कसने और इस प्रकार के तमाम कार्यों से रोका है, जो मुसलमानों के अंदर बिखराव पैदा करते हैं।
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