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عن أبي هريرة رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «ما من أحد يُسَلِّمُ عليَّ إلا ردَّ الله عليَّ روحي حتى أرُدَّ عليه السلام».
[إسناده حسن] - [رواه أبو داود وأحمد]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जो भी मुझ पर सलाम पढ़ता है, अल्लाह मुझे मेरी आत्मा लौटा देता है यहाँ तक कि मैं सलाम का उत्तर दे देता हूँ।
[इसकी सनद ह़सन है।] - [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

जब कोई व्यक्ति नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को सलाम करता है, तो अल्लाह आपके शरीर में आत्मा को लौटा देता है, ताकि आप सलाम का उत्तर दे सकें। अतः जब आप नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को सलाम करेंगे, तो अल्लाह आपके शरीर में आत्मा को लौटा देगा और आप सलाम का उत्तर देंगे। हदीस के ज़ाहिर से मालूम होता है कि ऐसा उस समय होता है, जब कोई निकट से सलाम कर रहा हो। जैसे कोई आपकी क़ब्र के पास खड़ा होकर कहे : ऐ नबी, आप पर सलामती हो, अल्लाह की कृपा हो और उसकी बरकतें हों। लेकिन इस बात की भी गुंजाइश है कि ऐसा किसी के भी सलाम करने से होता हो। वह चाहे निकट से सलाम करे या दूर से। क्योंकि अल्लाह के पास हर बात तथा कार्य की शक्ति एवं सामर्थ्य है।

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