عن ابن مسعود رضي الله عنه قال: دخلتُ على النبيِّ صلى الله عليه وسلم وهو يُوعَكُ، فَمَسَسْتُهُ، فقلتُ: إنّكَ لَتُوعَكُ وَعَكًا شَدِيدًا، فقالَ: «أجَلْ، إنِّي أُوعَكُ كما يُوعَكُ رَجُلانِ منكُم».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि मैं अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आया तो आपको बुख़ार था। मैंने आपके शरीर पर हाथ रखा और कहाः आपको तो बड़ा तीव्र बुख़ार है। तो फ़रमायाः मुझे तुम्हारे जैसे दो व्यक्तियों के बराबर बुख़ार आता है।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अब्दुल्लाह बिन मसऊद -रज़ियल्लाहु अनहु- कहते हैं कि वह अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास उस समय पहुँचे जब आपकी बीमारी बढ़ चुकी थी और आप कष्ट में थे। उन्होंने अपना हाथ बढ़ाया और आपसे कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! आपकी बीमारी तो काफ़ी बढ़ चुकी है। तो आपने बताया कि आपको बीमारी की उतनी भीषणता का सामना होता है, जितने का सामना हममें से दो व्यक्तियों को होता है। ऐसा इसलिए, ताकि आप -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को सब्र के सबसे ऊँचे दर्जे प्राप्त हों।

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