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عَنْ سَهْلِ بْنِ مُعَاذِ بْنِ أَنَسٍ عَنْ أَبِيهِ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«مَنْ أَكَلَ طَعَامًا فَقَالَ: الحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَطْعَمَنِي هَذَا وَرَزَقَنِيهِ مِنْ غَيْرِ حَوْلٍ مِنِّي وَلاَ قُوَّةٍ، غُفِرَ لَهُ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِهِ».

[حسن] - [رواه أبو داود والترمذي وابن ماجه وأحمد] - [سنن الترمذي: 3458]
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सह्ल बिन मुआज़ अपने पिता से रिवायत करते हैं, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"जिसने खाना खाने के बाद यह दुआ पढ़ीः 'الحمدُ للهِ الذي أَطْعَمَنِي هَذَا، وَرَزَقْنِيهِ مِنْ غَيرِ حَوْلٍ مِنِّي وَلَا قُوَّةٍ' (अर्थात - सारी प्रशंसा अल्लाह की है, जिसने मुझे यह खाना खिलाया तथा यह रोज़ी दी, जबकि इसमें मेरी शक्ति तथा सामर्थ्य का कोई दख़ल नहीं है) उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।"

[ह़सन] - - [سنن الترمذي - 3458]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खाना खाने वाले को अल्लाह की प्रशंसा करने की प्रेरणा दे रहे हैं। क्योंकि अल्लाह के दिए हुए सुयोग एवं मदद के बिना इन्सान के पास न भोजन प्राप्त करने की शक्ति है और न खाने की क्षमता। उसके बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह दुआ करने वाले को सुसमाचार सुनाया है कि अल्लाह उसके पिछले छोटे गुनाहों को माफ़ कर देता है।

हदीस का संदेश

  1. खाना खाने के बाद अल्लाह की प्रशंसा करना मुसतहब है।
  2. अल्लाह के नितांत अनुग्रह का बयान कि उसने बंदों को रोज़ी दी, रोज़ी के साधन उपलब्ध किए और उसमें गुनाहों की क्षमा का सामान भी पैदा कर दिया।
  3. बंदो के सारे मामलात की बागडोर अल्लाह के हाथ में है। उनकी शक्ति एवं सामर्थ्य के आधार पर कुछ नहीं होता। जबकि बंदे को आदेश दिया गया है कि वह साधनों को अपनाए।
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