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عن أبي صِرْمة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال:
«مَنْ ضَارَّ ضَارَّ اللهُ بِهِ، وَمَنْ شَاقَّ شَقَّ اللهُ عَلَيْهِ».

[حسن] - [رواه أبوداود والترمذي وابن ماجه وأحمد] - [سنن الترمذي: 1940]
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अबू सिर्मा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जो किसी को हानि पहुंचाएगा, अल्लाह उसको हानि पहुंचाएगा और जो किसी को कठिनाई में डालेगा, अल्लाह उसे कठिनाई में डालेगा।"

ह़सन - इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने किसी मुसलमान को हानि पहुँचाने और उसे किसी भी तरह की कठिनाई में डालने से मना किया है। हानि तथा कठिनाई का संबंध उसकी जान से हो, धन से हो या परिवार से। आपने बताया है कि ऐसा करने वाले को अल्लाह उसी कोटि का प्रतिफल देगा, जिस कोटि का उसका कर्म है।

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हदीस का संदेश

  1. मुसलमान को हानि पहुँचाना और उसे कठिनाई में डालना हराम है।
  2. अल्लाह अपने बंदों के लिए प्रतिशोध लेता है।
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