عن عبد الله بن الشخير رضي الله عنه قال: "انطلقت في وفد بني عامر إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقلنا: أنت سيدنا. فقال السيد الله -تبارك وتعالى-. قلنا: وأَفْضَلُنَا فَضْلًا وأَعْظَمُنْا طَوْلًا. فقال: قولوا بقولكم أو بعض قولكم، ولا يَسْتَجْرِيَنَّكُمُ الشيطان".
[صحيح] - [رواه أبو داود وأحمد]
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अब्दुल्लाह बिन शिख़्ख़ीर (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि मैं बनू आमिर के एक प्रतिनिध मंडल के साथ नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास गया। वहाँ पहुँचकर हमने कहाः आप हमारे 'सैयिद' (अधिपति) हैं। तो आपने कहाः 'सैयिद' (अधिपति) तो अल्लाह (उसकी ज़ात बरकत वाली एवं उच्च है) है।" हमने कहाः आप हमारे बीच सबसे उत्तम और सबसे उपकार करने वाले व्यक्ति हैं। तो आपने कहाः "तुम मुझे अपने साधारण शब्दों से संबोधित करो अथवा कुछ साधारण शब्दों से संबोधित करो और देखो कहीं शैतान तुम्हें अपना प्रवक्ता न बना ले।"
सह़ीह़ - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

जब इस प्रतिनिधि मंडल ने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की प्रशंसा में अतिशयोक्ति से काम लिया, तो अल्लाह के सामने अपनी विनम्रता और एकेश्वरवाद की भावना के मद्देनज़र, उन्हें इससे मना किया और आदेश दिया कि केवल उन्हीं शब्दों का चयन करें, जो अतिशयोक्ति से पाक हों। जैसे मुहम्मद रसूलुल्लाह कहकर पुकारें, जैसा कि खुद अल्लाह ने किया है। इसी तरह, अल्लाह के नबी अथवा अबुल क़ासिम कहकर संबोधित करें। उन्हें इस बात से सतर्क रहने को कहा कि कहीं वे शैतान के सुझाए हुए शब्दों का प्रयोग करके उसके प्रवक्ता न बन जाएँ।

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