عَنِ ابْنِ عُمَرَ رضي الله عنهما:
عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ أَنَّهُ نَهَى عَنِ النَّذْرِ، وَقَالَ: «إِنَّهُ لَا يَأْتِي بِخَيْرٍ، وَإِنَّمَا يُسْتَخْرَجُ بِهِ مِنَ الْبَخِيلِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 1639]
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अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मन्नत मानने से मना किया है और कहा है : "मन्नत कोई भलाई नहीं लाती। इसके द्वारा केवल कंजूस का धन निकाला जाता है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1639]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मन्नत मानने से मना किया है। मन्नत यह है कि इन्सान अपने ऊपर ऐसी कोई चीज़ वाजिब कर ले, जिसे अल्लाह ने उसपर वाजिब न किया हो। आपने आगे फ़रमाया कि मन्नत न किसी चीज़ को आगे करती है, न पीछे। उसके द्वारा तो केवल कंजूस व्यक्ति से, जो बस अनिवार्य कार्य ही करता हो, भलाई निकाली जाती है। मन्नत कोई ऐसी चीज़ नहीं लाती, जो तक़दीर में न लिखी हो।