عن الأشعث بنِ قيسٍ قال: كان بيني وبين رجُلٍ خُصومةٌ في بئرٍ، فاخْتصمْنا إلى رسولِ الله صلى الله عليه وسلم فقال رسولُ الله صلى الله عليه وسلم : "شاهِداك، أو يمينهُ"، قلتُ: إذًا يحلِف ولا يُبالي! فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : "مَن حَلف على يمينِ صَبْرٍ، يَقْتَطِعُ بها مالَ امرىءٍ مُسلمٍ، هو فيها فاجِرٌ، لَقِيَ الله وهو عليه غضبانُ".
[صحيح] - [متفق عليه]
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अशअस बिन क़ैस कहते हैं कि मेरे और एक अन्य व्यक्ति के बीच एक कुएँ को लेकर झगड़ा था। हम इस मामले को अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास लेकर पहुँचे, तो फ़रमायाः तुम दो गवाह लाओ, अन्यथा उसकी क़सम पर निर्णय होगा। मैंने कहाः तब तो वह बेझिझक क़सम खा लेगा! तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः जिसने मुसलमान का माल हड़पने के लिए अकाट्य झूठी क़सम खाई, वह अल्लाह से इस हाल में मिलेगा कि अल्लाह उससे सख़्त क्रोधित होगा।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में अशअस़ बिन क़ैस की कहानी है कि उनका एक व्यक्ति से एक कुएँ के संबंध में झगड़ा हो गया। दोनों अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास निर्णय के लिए पहुँचे, तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उनसे फ़रमाया : "तुम दो गवाह ले आओ, अन्यथा उसकी क़सम के आधार पर फैसला होगा।" अशअस़ बिन क़ैस को लगा कि उनका विरोधी तो क़सम खा लेगा। उसे पाप की कोई चिंता नहीं है। यह आशंका उन्होंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के सामने व्यक्त की, तो नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जो व्यक्ति झूठी क़सम पर अड़कर किसी मुस्लिम का धन हड़प ले, वह अल्लाह से भेंट इस दशा में करेगा कि अल्लाह उससे क्रुद्ध होगा।" इस हदीस में उस व्यक्ति को बहुत ज़्यादा सावधान किया गया है, जो दूसरे का धन नाजायज़ तरीक़े से झूठी क़सम खाकर ले लेता है। ऐसे व्यक्ति की अल्लाह से इस दशा में भेंट होगी कि अल्लाह उससे क्रोधित होगा और अल्लाह जिससे क्रोधित हो गया, उसका विनाश तय है।

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