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عَن الحَسَنِ قال: حَدَّثنا جُنْدَبُ بْنُ عَبْدِ اللَّهِ رضي الله عنه، فِي هَذَا المَسْجِدِ، وَمَا نَسِينَا مُنْذُ حَدَّثَنَا، وَمَا نَخْشَى أَنْ يَكُونَ جُنْدُبٌ كَذَبَ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلّى الله عليه وسلم:
«كَانَ فِيمَنْ كَانَ قَبْلَكُمْ رَجُلٌ بِهِ جُرْحٌ، فَجَزِعَ، فَأَخَذَ سِكِّينًا فَحَزَّ بِهَا يَدَهُ، فَمَا رَقَأَ الدَّمُ حَتَّى مَاتَ، قَالَ اللَّهُ تَعَالَى: بَادَرَنِي عَبْدِي بِنَفْسِهِ، حَرَّمْتُ عَلَيْهِ الجَنَّةَ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 3463]
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हसन से रिवायत है, वह कहते हैं : हमसे जुनदुब बिन अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु ने इसी मस्जिद में बयान किया है और जब से उन्होंने बयान किया है, हम भूले नहीं हैं और हमें इस बात की भी आशंका नहीं है कि जुनदुब ने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के संबंध में झूठ बोला है। उनका कहना है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"तुमसे पहले एक व्यक्ति को ज़ख्म लगा, तो वह व्यथित हो गया और एक चाक़ू से अपना हाथ काट डाला। रक्त बंद न हुआ, यहाँ तक कि वह मर गया। अतः, अल्लाह तआला ने फ़रमाया : मेरे बंदे ने अपनी जान ख़त्म करने में जल्दबाज़ी से काम लिया, अतः मैंने उसपर जन्नत हराम कर दी।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 3463]

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि पूर्ववर्ती जातियों में एक व्यक्ति के शरीर में एक ज़ख़्म लग गया, जो सब्र से काम न ले सका और अधीर होकर एक चाक़ू लिया और मरने के इरादे से उससे अपना हाथ काट डाला। कटे हुए स्थान से रक्त इतना बहने लगा कि अंततः वह मर गया। चुनांचे इस परिदृश्य में उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा : मेरे बंदे ने अपनी जान ख़त्म करने में जल्दबाज़ी से काम लिया, अतः मैंने उसपर जन्नत हराम कर दी।

हदीस का संदेश

  1. विपत्ति के समय धैर्य रखने तथा अधीर न होने की फ़ज़ीलत, क्योंकि धैर्य खोने से इन्सान और बड़ी विपत्ति में पड़ सकता है।
  2. पिछली उम्मतों की अच्छी और उपदेशात्मक बातों का वर्णन करना।
  3. इब्न-ए-हजर कहते हैं : इस हदीस से मालूम होता है कि इन्सान को अल्लाह की निर्धारित सीमाओं का पालन करना चाहिए। साथ ही यह कि अल्लाह अपनी सृष्टि पर बड़ा दयावान् है कि उसने आत्म हत्या को हराम क़रार दिया है। दरअसल जीवन अल्लाह का दिया हुआ है और वही उसका मालिक है।
  4. आत्म हत्या की ओर ले जाने वाली चीज़ें हराम हैं। आत्म हत्या करने वाले को बड़ी सख़्त चेतावनी दी गई है।
  5. इब्न-ए-हजर कहते हैं : यह इस बात की दलील है कि उसने मरने के इरादे से उंगली काटी थी, इलाज की नीयत से नहीं कि जिससे लाभ होने की आशा रहती है।
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