عَنْ أَبِي مُـحَمَّدٍ الحَسَنِ بْنِ عَلِيِّ بْنِ أَبِي طَالِبٍ - سِبْطِ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ وَرَيْحَانَتِهِ-، قَالَ: حَفِظْتُ مِنْ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«دَعْ مَا يَرِيبُك إلَى مَا لَا يَرِيبُكَ».
[صحيح] - [رواه الترمذي والنسائي] - [الأربعون النووية: 11]
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अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के नवासे और प्रिय हसन बिन अली बिन अबू तालिब -रज़ियल्लाहु अनहुमा- कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से यह बात याद की है :
“संदेह में डालने वाली चीज़ों को छोड़कर संदेह में न डालने वाली चीज़ों को अपनाओ।"
[सह़ीह़] - [رواه الترمذي والنسائي] - [الأربعون النووية - 11]
अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने ऐसी बातें कहने और ऐसे कार्य करने से दूर रहने का आदेश दिया है, जिनके बारे में संदेह हो कि वो निषिद्ध हैं या नहीं? हलाल हैं या हराम? इन्सान को ऐसी बातें और ऐसे कार्य करने चाहिए, जिनके अच्छे और हलाल होने का विश्वास हो।