عَنْ عَبْدِ اللهِ بْنِ مُغَفَّلٍ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم:
«بَيْنَ كُلِّ أَذَانَيْنِ صَلَاةٌ، بَيْنَ كُلِّ أَذَانَيْنِ صَلَاةٌ» ثُمَّ قَالَ فِي الثَّالِثَةِ: «لِمَنْ شَاءَ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 627]
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अब्दुल्लाह बिन मुग़फ्फ़ल रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है :
"हर दो अज़ानों के बीच में नमाज़ है। हर दो अज़ानों के बीच में नमाज़ है।" फिर तीसरी बार फ़रमाया : "उसके लिए, जो पढ़ना चाहे।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 627]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बयान फ़रमाया कि हर अज़ान व इक़ामत के बीच में नफ़ल नमाज़ है। इस वाक्य को आपने तीन बार दोहराया और तीसरी बार फ़रमाया कि यह नमाज़ उसके लिए मुसतहब है, जो पढ़ना चाहे।