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عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه أَنَّ رَسُولَ اللهِ صلى الله عليه وسلم قَالَ:
«إِذَا مَاتَ الْإِنْسَانُ انْقَطَعَ عَنْهُ عَمَلُهُ إِلَّا مِنْ ثَلَاثَةٍ: إِلَّا مِنْ صَدَقَةٍ جَارِيَةٍ، أَوْ عِلْمٍ يُنْتَفَعُ بِهِ، أَوْ وَلَدٍ صَالِحٍ يَدْعُو لَهُ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1631]
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अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है:
''जब कोई व्यक्ति मर जाता है, तो उसके कर्मों का सिलसिला रुक जाता है, सिवाय तीन चीज़ों के : स़दक़ा जारिया (अनवरत चलने वाला दान), ऐसी विद्या छोड़कर जाना जिससे लोग लाभांवित हों अथवा ऐसी नेक (सदाचारी) संतान, जो उसके लिए (मरने के बाद) दुआ करे।''

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1631]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यहाँ बताया है कि इन्सान की मृत्यु के साथ उसके अमल का सिलसिला रुक जाता है। उसे मौत के बाद सवाब केवल तीन चीज़ों का मिलता है, क्योंकि वही इनका कारण होता है। यह तीन चीज़ें इस प्रकार हैं :
1- ऐसा सदक़ा जिसका सवाब निरंतर जारी रहता है। कभी बंद नहीं होता। जैसे वक़्फ़, मस्जिद का निर्माण एवं कुआँ खुदवाना आदि।
2- इन्सान का छोड़ा हुआ ऐसा ज्ञान जिससे बाद में भी लोग लाभान्वित होते रहें। जैसे विद्वतापूर्ण किताबें लिखना या किसी व्यक्ति को ज्ञान सिखा देना, जो उसे अन्य लोगों को सिखाने का काम करे।
3- मोमिन और सदाचारी संतान, जो अपने माता-पिता के लिए दुआ करती रहे।

हदीस का संदेश

  1. मुस्लिम विद्वानों का इजमा है कि इन्सान को मौत के बाद जिन चीज़ों का सवाब मिलता रहता है, उनमें सदक़ा-ए-जारिया, लाभदायक ज्ञान एवं दुआ शामिल हैं। कुछ हदीसों में हज का भी ज़िक्र हुआ है।
  2. इन तीन चीज़ों का ज़िक्र खास तौर से इसलिए किया गया है कि यह चीज़ें अच्छी चीज़ों की बुनियाद की हैसियत रखती हैं और आम तौर पर नेक लोग चाहते हैं कि यह चीज़ें उनके बाद बाक़ी रहें।
  3. वैसे तो हर लाभदायक ज्ञान का प्रतिफल मिलता है, लेकिन इस मामले में शरीयत का ज्ञान और उसकी प्राप्ति में सहायक ज्ञान सबसे ऊपर हैं।
  4. इन तीन चीज़ों में भी सबसे लाभकारी चीज़ शरीयत का ज्ञान है। क्योंकि उसे सीखने वाला तो उससे लाभान्वित होता ही है, लेकिन इसके साथ-साथ शरीयत की रक्षा हो जाती है और सारी सृष्टि फ़ायदा उठाती है। ज्ञान की एक बड़ी विशेषता यह है कि उससे आपके दौर के लोगों के साथ-साथ आपके बाद के लोग भी लाभान्वित हो सकते हैं।
  5. बच्चों की अच्छी तरबियत की प्रेरणा। क्योंकि नेक संतान अपने माता-पिता को आख़िरत में फ़ायदा पुहँचाती है। इस फ़ायदा पहुँचाने का एक रूप यह है कि नेक संतान अपने माता-पिता के लिए दुआ करती है।
  6. माता-पिता की मृत्यु के पश्चात भी उनके साथ अच्छे बर्ताव की प्रेरणा। जो कि धार्मिकता का एक रूप है, जिससे बच्चे को लाभ होता है।
  7. वैसे तो संतान के सिवा कोई और करे, तब भी मरे हुए व्यक्ति को लाभ मिलता है, लेकिन आपने विशेष रूप से संतान का ज़िक्र इसलिए किया है कि किसी भी व्यक्ति के लिए उसकी संतान ही अंतिम सांस तक दुआ करती रहती है।
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