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عن عائشة وعبد الله بن عمر وأنس بن مالك رضي الله عنهم مرفوعاً: «إِذَا أُقِيمَت الصَّلاَة، وحَضَرَ العَشَاء، فَابْدَءُوا بِالعَشَاء».
[صحيحة] - [حديث عائشة رضي الله عنها: متفق عليه حديث ابن عمر رضي الله عنهما: متفق عليه حديث أنس رضي الله عنه: متفق عليه]
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आइशा, अब्दुल्लाह बिन उमर और अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहुम) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जब नमाज़ खड़ी हो जाए और रात का खाना हाज़िर हो, तो पहले खाना खा लो।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने तमाम रिवायतों के साथ नक़ल किया है।]

व्याख्या

जब नमाज़ खड़ी हो जाए और खाने या पीने की चीज़ सामने उपस्थित हो, तो पहले खाने-पीने से फ़ारिग हो जाना चाहिए। ताकि भूख-प्यास की शिद्दत ख़त्म हो जाए और नमाज़ पढ़ते समय नमाज़ी का ध्यान खाने की ओर न जाए, बल्कि वह एकाग्र होकर नमाज़ पढ़ सके। लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि नमाज़ का वक्त तंग न हो तथा भूख लगी हुई हो। इस हदीस से पता चलता है कि हमारी शरीयत एक संपूर्ण शरीयत है और उसने आसानी तथा उदारता के साथ-साथ प्राण के अधिकार का भी ख़याल रखा है।

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