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عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عَمْرٍو رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا:
أَنَّ رَجُلًا سَأَلَ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: أَيُّ الإِسْلاَمِ خَيْرٌ؟ قَالَ: «تُطْعِمُ الطَّعَامَ، وَتَقْرَأُ السَّلاَمَ عَلَى مَنْ عَرَفْتَ وَمَنْ لَمْ تَعْرِفْ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 12]
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अब्दुल्लाह बिन अम्र रज़ियल्लाहु अनहुमा से रिवायत है कि
एक आदमी ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा कि इस्लाम का कौन-सा कार्य सबसे अच्छा है? आपने उत्तर दिया : "यह कि तुम खाना खिलाओ और जाने-पहचाने तथा अनजान सबको सलाम करो।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 12]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा गया कि इस्लाम का कौन-सा काम सबसे अच्छा है, तो आपने दो कामों का ज़िक्र किया :
1- ग़रीबों को ज़्यादा से ज़्यादा खाना खिलाना। इसमें सदक़ा, भेंट, निमंत्रण और वलीमा सब शामिल है। खाना खिलाने का महत्व उस समय और बढ़ जाता है, जब भुखमरी और महंगाई हो।
2- हर मुसलमान को सलाम करना। चाहे परिचित हो या अपरिचित।

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हदीस का संदेश

  1. सहाबा ऐसे कार्यों को जानने के इच्छुक रहा करते थे, जो दुनिया और आख़िरत में लाभदायक हों।
  2. खाना खिलाना और सलाम करना इस्लाम की नज़र में सबसे अच्छे कामों में से दो काम हैं। क्योंकि एक तो यह सवाब के काम हैं और दूसरे इन्सान को हर समय इनकी ज़रूरत रहती है।
  3. इन दोनों में कार्य में एहसान एवं कथन में एहसान दोनों एकत्र हो जाते हैं, जो कि एहसान का सबसे संपूर्ण रूप है।
  4. ये वह काम हैं, जिनका संबंध मुसलमानों के आपसी बर्ताव से है। जबकि कुछ कार्य ऐसे भी हैं, जिनका संबंध बंदे के अपने रब के साथ बर्ताव से है।
  5. सलाम करने में पहल करने की बात मुसलमानों तक सीमित है। काफ़िरों (अधर्मियों) को सलाम करने में पहल नहीं की जाएगी।
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