عَنْ أَنَسٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قالَ:
«لاَ يُؤْمِنُ أَحَدُكُمْ، حَتَّى يُحِبَّ لِأَخِيهِ مَا يُحِبُّ لِنَفْسِهِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 13]
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अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
''तुममें से कोई व्यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि अपने भाई के लिए वही पसंद न करे, जो अपने लिए पसंद करता है।''
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 13]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम बताया है कि किसी व्यक्ति को संपूर्ण ईमान की दौलत उस समय तक नसीब नहीं हो सकती, जब तक अपने भाई के लिए दीन एवं दुनिया की वही चीज़ें पसंद न करे, जो अपने लिए पसंद करता हो और उसके लिए उन्हीं चीज़ों को नापसंद न करे, जिन्हें अपने लिए नापसंद करता हो। अगर अपने भाई के अंदर दीन की कोई कमी देखे, तो उसे दूर करने का प्रयास करे और कोई अच्छाई देखे, तो उसे और बढ़ावा दे और उसमें मदद करे। दीन एवं दुनिया से संबंधित सभी बातों में उसका शुभचिंतन करे।