عَنْ مَعْدَانَ بْنِ أَبِي طَلْحَةَ الْيَعْمَرِيُّ قَالَ:
لَقِيتُ ثَوْبَانَ مَوْلَى رَسُولِ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، فَقُلْتُ: أَخْبِرْنِي بِعَمَلٍ أَعْمَلُهُ يُدْخِلُنِي اللهُ بِهِ الْجَنَّةَ؟ أَوْ قَالَ قُلْتُ: بِأَحَبِّ الْأَعْمَالِ إِلَى اللهِ، فَسَكَتَ. ثُمَّ سَأَلْتُهُ فَسَكَتَ. ثُمَّ سَأَلْتُهُ الثَّالِثَةَ فَقَالَ: سَأَلْتُ عَنْ ذَلِكَ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، فَقَالَ: «عَلَيْكَ بِكَثْرَةِ السُّجُودِ لِلَّهِ، فَإِنَّكَ لَا تَسْجُدُ لِلَّهِ سَجْدَةً، إِلَّا رَفَعَكَ اللهُ بِهَا دَرَجَةً، وَحَطَّ عَنْكَ بِهَا خَطِيئَةً» قَالَ مَعْدَانُ: ثُمَّ لَقِيتُ أَبَا الدَّرْدَاءِ فَسَأَلْتُهُ فَقَالَ لِي: مِثْلَ مَا قَالَ لِي: ثَوْبَانُ.
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 488]
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मादान बिन अबू तल्हा यामुरी से वर्णित है, वह कहते हैं :
मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आज़ाद किए हुए दास स़ौबान से मुलाक़ात की और कहा : मुझे किसी ऐसे कार्य के बारे में बताइए, जिसे करूँ, तो अल्लाह मुझे जन्नत में प्रवेश करा दे। उनका कहना है कि या मैंने यह कहा था : मुझे कोई ऐसा काम बताइए, जो अल्लाह के निकट सबसे महबूब हो। मेरी बात सुनकर वह चुप रहे। मैंने फिर प्रश्न किया, तो वह चुप रहे। मैंने तीसरी बार प्रश्न दोहराया, तो उन्होंने कहा : मैंने इसके बारे में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा, तो आपने कहा : ''अधिक से अधिक अल्लाह के लिए सजदा करो, इसलिए कि तुम्हारे हर एक सजदे के बदले अल्लाह तुम्हारा एक दर्जा ऊँचा करता है और तुम्हारे एक गुनाह को मिटा देता है।'' मअदान कहते हैं : फिर मैं अबू दरदा से मिला और उनसे पूछा, तो उन्होंने भी उसी तरह कहा, जिस तरह सौबान ने कहा था।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 488]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कोई ऐसा अमल पूछा गया, जो जन्नत में प्रवेश का सबब बन जाए या फिर जो अल्लाह को सबसे प्रिय हो।
जवाब में आपने पूछने वाले से कहा : तुम बहुत ज़्यादा नमाज़ में सजदे किया करो। क्योंकि जब तुम अल्लाह के लिए एक सजदा करोगे, तो उसके बदले में अल्लाह तुम्हारा स्थान एक दर्जा ऊँचा कर देगा और तुम्हारा एक गुनाह मिटा देगा।