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عَنْ عُمَرَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«مَنْ لَبِسَ الحَرِيرَ فِي الدُّنْيَا لَمْ يَلْبَسْهُ فِي الآخِرَةِ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 5834]
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उमर रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जिसने दुनिया में रेशमी वस्त्र पहना, वह उसे आख़िरत में नहीं पहनेगा।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 5834]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि जिस पुरुष व्यक्ति ने दुनिया में रेशमी वस्त्र पहना और तौबा किए बिना मर गया, वह दंड स्वरूप आख़िरत में उसे पहनने से वंचित रखा जाएगा।

हदीस का संदेश

  1. रेशम से मुराद शुद्ध प्राकृतिक रेशम है। कृतिम रेशम इसमें शामिल नहीं है।
  2. पुरुषों के लिए रेशमी वस्त्र हराम है।
  3. रेशमी वस्त्र पहनने की मनाही में उसे बिछाना भी शामिल है।
  4. पुरुषों के लिए कपड़े में थोड़े-बहुत रेशम की अनुमति है, जिसकी चौड़ाई दो से चार उंगलियों से अधिक न हो और जो कपड़े में नक़्श व निगार या हाशिया के तौर पर प्रयुक्त हुआ है।
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