عن الْأَغَرِّ رضي الله عنه، وَكَانَ مِنْ أَصْحَابِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«يَا أَيُّهَا النَّاسُ تُوبُوا إِلَى اللهِ، فَإِنِّي أَتُوبُ فِي الْيَوْمِ إِلَيْهِ مِائَةَ مَرَّةٍ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2702]
المزيــد ...
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के एक सहाबी अग़र्र -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"ऐ लोगो! अल्लाह के सामने तौबा करो, क्योंकि खुद मैं दिन में सौ बार तौबा करता हूँ।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2702]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लोगों को अधिक से अधिक तौबा एवं क्षमा याचना करने का आदेश दे रहे हैं और ख़ुद अपने बारे में बता रहे हैं कि आप दिन में सौ बार से अधिक तौबा एवं क्षमा याचना करते हैं। जबकि आपके अगले एवं पिछले तमाम गुनाह माफ़ थे। यह दरअसल अल्लाह के सामने में अपनी बंदगी एवं हीनता के इज़हार का पराकाष्ठा है।