عن أبي موسى الأشعري رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «مثل الذي يذكر ربه والذي لا يذكره مثل الحي والميت» وفي رواية: «مثل البيت الذي يُذْكَرُ الله فيه، والبيت الذي لا يُذْكَرُ الله فيه، مثل الحيِّ والميِّت».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू मूसा अशअरी- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः उस व्यक्ति का उदाहरण जो अपने रब को याद करता हो और जो अपने रब को याद न करता हो, जिंदा और मुर्दा की तरह है। तथा एक रिवायत में हैः उस घर का उदाहरण जिसमें अल्लाह को याद किया जाता हो और जिसमें अल्लाह को याद न किया जाता हो, जिंदा और मुर्दा की तरह है।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

हदीस का अर्थ यह है कि जो व्यक्ति उच्च एवं महान अल्लाह का ज़िक्र करता है, अल्लाह उसके दिल को अपने ज़िक्र से जीवन प्रदान करता है और उसके सीने को इस कार्य के लिए खोल देता है। अतः वह उच्च एवं महान अल्लाह के ज़िक्र और इसमें पाबंदी के कारण जीवित व्यक्ति की तरह है। इसके विपरीत जो उच्च एवं महान अल्लाह को याद नहीं करता, वह मृत व्यक्ति की तरह है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। इस प्रकार का व्यक्ति शरीर की दृष्टि से तो जीवित होता है, लेकिन हृदय की दृष्टि से मृत होता है। इस उदाहरण पर इनसान को अच्छे से विचार करना चाहिए और याद रखना चाहिए कि उसका हृदय जैसे ही सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह के ज़िक्र से गाफ़िल होगा, उसका दिल सख़्त हो जाएगा और हो सकता है कि उसका दिल मर भी जाए। अल्लाह तआला का फ़रमान है : {أومن كان ميتا فأحييناه وجعلنا له نورًا يمشي به في الناس كمن مثله في الظلمات ليس بخارج منها} यानी तो क्या, जो निर्जीव रहा हो, फिर हमने उसे जीवन प्रदान किया हो तथा उसके लिए प्रकाश बना दिया हो, जिसके उजाले में वह लोगों के बीच चल रहा हो, उस जैसा हो सकता है, जो अंधेरों में हो, उससे निकल न रहा हो?

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