عَنْ أَبِي الدَّرْدَاءِ رضي الله عنه: سَمِعْتُ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:
«إِنَّ اللَّعَّانِينَ لَا يَكُونُونَ شُهَدَاءَ وَلَا شُفَعَاءَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2598]
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अबू दरदा -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को कहते हुए सुना है :
"बहुत ज़्यादा लानत करने वाले क़यामत के दिन गवाही देने वाले और सिफ़ारिश करने वाले नहीं होंगे।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2598]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि ऐसे व्यक्ति पर लानत करने वाला, जो लानत का हक़दार नहीं है, दो सज़ाओं का हक़दार है : पहली : वह अपने इस गुनाह के कारण क़यामत के दिन इस बात की गवाही नहीं देगा कि पिछली उम्मतों को उनके रसूलों ने अल्लाह का संदेश पहुँचाया था, दुनिया में भी उसकी गवाही स्वीकार नहीं की जाएगी और उसे अल्लाह की राह में शहादत भी नसीब नहीं होगी। दूसरी : क़यामत के दिन, जब दूसरे मोमिन जहन्नम के हक़दार बन चुके अपने मोमिन भाइयों के बारे में सिफ़ारिश करेंगे, वह सिफ़ारिश नहीं कर सकेगा।