عن أبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«لَا يَحِلُّ لِامْرَأَةٍ مُسْلِمَةٍ تُسَافِرُ مَسِيرَةَ لَيْلَةٍ إِلَّا وَمَعَهَا رَجُلٌ ذُو حُرْمَةٍ مِنْهَا».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 1339]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"किसी मुसलमान औरत के लिए जायज़ नहीं कि एक दिन एवं एक रात की यात्रा किसी महरम के बिना करे।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1339]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि किसी मुसलमान स्त्री के लिए किसी महरम व्यक्ति को साथ लिए बिना एक रात की दूरी का सफ़र करना हराम है।