عن أبي هريرة قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «ألا أَدُلُّكُم على ما يَمْحُو الله به الخطايا ويرفع به الدرَجات؟» قالوا: بلى، يا رسول الله، قال: «إِسْبَاغُ الوُضُوء على المَكَارِه، وكَثْرَةُ الخُطَا إلى المساجد، وانتظارُ الصلاة بعد الصلاة فذلِكُم الرِّباط».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "क्या मैं तुम्हें ऐसी बातें न बताऊँ, जिनके ज़रिए अल्लाह तआला गुनाहों को मिटा देता है और दर्जे ऊँचे कर देता है?" सहाबा ने कहाः अवश्य ऐ अल्लाह के रसूल। फ़रमायाः "कठिन परिस्थितियों के बावजूद अच्छी तरह वज़ू करना, मस्जिद की ओर ज़्यादा कदमों से चलकर जाना और नमाज़ के बाद नमाज़ की प्रतीक्षा करना। यही पहरेदारी है।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपने साथियों से एक प्रश्न किया। हालाँकि आप जानते थे कि प्रश्न का उत्तर क्या मिलने वाला है? दरअसल यह आपके शिक्षा देने का एक अद्भुत तरीक़ा था कि कभी-कभी प्रश्न कर लिया करते थे, ताकि लोग प्रश्न से संबंधित बातों को ध्यान से सुनें और जो कुछ कहा जाए, उसे अच्छी तरह समझ लें। आपने पूछा : क्या मैं तुम्हें ऐसे कार्य न बताऊँ, जिनसे अल्लाह गुनाहों को मिटा देता है और इनसान की श्रेणी ऊँची कर देता है? सहाबा ने उत्तर दिया कि अवश्य बताएँ। हम चाहते ही हैं कि आप हमें कुछ ऐसे कार्य बताएँ, जिनसे हमारी श्रेणी ऊँची हो और हमारे गुनाह मिट जाएँ। तो आपने फ़रमाया : इस तरह की पहली चीज़ है, ऐसे समय संपूर्ण तरीक़े से वज़ू करना, जब दिल न चाहता हो। जैसा कि जाड़े के दिनों में हुआ करता है, जब पानी ठंडा होता है। जब इनसान इस परेशानी का सामना करते हुए संपूर्ण तरीक़े से वज़ू करता है, तो यह बताता है कि वह संपूर्ण ईमान का मालिक है। चुनांचे इसके नतीजे में अल्लाह उसकी श्रेणी ऊँची करता है और उसके गुनाह मिटा देता है। दूसरी बात यह है कि इनसान पाँच वक्त की नमाज़ों के लिए शरीयत के बताए हुए तरीक़े के मुताबिक़ मस्जिद जाए, चाहे मस्जिद दूर ही क्यों न हो। तीसरी चीज़ यह है कि इनसान के अंदर नमाज़ का इस क़दर शौक़ हो कि जैसे ही एक नमाज़ पूरी करे, दूसरी नमाज़ की प्रतीक्षा में लग जाए और उसका दिल उसमें अटका रहे। क्योंकि यह उसके ईमान तथा नमाज़ से प्रेम एवं शौक़ का प्रमाण है। अतः यदि इनसान एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ की प्रतीक्षा करता है, तो इससे अल्लाह उसकी श्रेणी ऊँची करता है और उसके गुनाह मिटा देता है। उसके बाद अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया कि वज़ू, नमाज़ एवं इबादत की पाबंदी अल्लाह के मार्ग में सीमा की पहरेदारी की तरह है।

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