عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ عَنْ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«قَالَ اللَّهُ تَبَارَكَ وَتَعَالَى: أَعْدَدْتُ لِعِبَادِي الصَّالِحِينَ، مَا لاَ عَيْنٌ رَأَتْ، وَلاَ أُذُنٌ سَمِعَتْ، وَلاَ خَطَرَ عَلَى قَلْبِ بَشَرٍ» قَالَ أَبُو هُرَيْرَةَ: اقْرَؤُوا إِنْ شِئْتُمْ: {فَلاَ تَعْلَمُ نَفْسٌ مَا أُخْفِيَ لَهُمْ مِنْ قُرَّةِ أَعْيُنٍ} [السجدة: 17].
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 4779]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
बरकत वाले एवं महान अल्लाह ने कहा है : मैंने अपने अच्छे कर्म करने वाले बंदों के लिए वह चीज़ें तैयार कर रखी हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है, न किसी कान ने सुना है और न किसी इनसान के दिल में उनका ख़याल आया है।" अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- ने कहा : यदि तुम चाहो, तो यह आयत पढ़ लो : (कोई प्राणी नहीं जानता कि हमने उनके लिए आँखें ठंडी करने वाली क्या-क्या चीज़ें छुपा रखी हैं।) [सूरा सजदा : 17]
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 4779]
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्मल ने बताया है कि बरकत वाले तथा महान अल्लाह ने कहा है : मैंने जन्नत के अंदर अपने सदाचारी बंदों के सम्मान में ऐसी-ऐसी चीज़ें तैयार कर रखी हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है, न किसी कान ने उनकी विशेषताओं को सुना है और न उनकी वास्तविकता की कल्पना किसी दिल ने की है। इस हदीस को बयान करने के बाद अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- ने कहा कि यदि तुम चाहो तो यह आयत पढ़ लो :
"कोई प्राणी नहीं जानता कि उनके लिए आँखें ठंडी करने वाली क्या-क्या चीज़ें छुपाकर रखी गई हैं।" [सूरा सजदा : 17]