عن ابن عباس رضي الله عنهما أن رسول الله صلى الله عليه وسلم صام يوم عاشوراء وأمر بصيامه.
[صحيح] - [متفق عليه]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अनहुमा) का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आशूरा के दिन (मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को) रोज़ा रखा और उस दिन रोज़ा रखने का आदेश भी दिया।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
उलेमा इस बात पर एकमत हैं कि दसवें मुहर्रम का रोज़ा वाजिब नहीं, सुन्नत है। लेकिन इस बात पर उनके मत अलग-अलग हैं कि शुरू में जब इस दिन के रोज़े का आदेश दिया गया था और रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ नहीं हुए थे, उस समय उसका हुक्म क्या था? उस समय वह वाजिब था या नहीं? यदि यह सहीह है कि शुरू में वाजिब था, तो उसका वजूब कई सहीह हदीसों के कारण निरस्त हो चुका है। इस तरह की एक हदीस आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- से वर्णित है कि क़ुरैश क़बीले के लोग अज्ञान काल में दसवें मुहर्रम का रोज़ा रखा करते थे। फिर अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उसे रखने का आदेश दिया, यहाँ तक कि रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ हो गए। तब अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जो चाहे उस दिन रोज़ा रखे और जो चाहे न रखे।" इस हदीस को इमाम बुख़ारी (3/24 हदीस संख्या : 1893) और इमाम मुस्लिम (2/792 हदीस संख्या : 1125) ने रिवायत किया है।